Accounting Concept and Principle in Hindi and English

लेखांकन अवधारणा एवं सिद्धांत
(Accounting Concept and Principle)

(1) सता की अवधारणा/पृथक अमिाप कीअवधारणा/प्यवसाय असिात्व (Concept of Business Entity / Concept of Separate Entity / Business Entity):-

  • इस अवधारणा के कारण स्वामी का अस्तित्व व्यापार से अलग माना जाता है। Owing to this concept, the existence of the owner is considered separate from the business.
  • स्वामी तथा व्यापार दोनों की लेखा पुस्तकें भी अलग-अलग होती हैं। व संपत्ति, दायित्व, खर्चे एवं आय भी अलग-अलग होती है। Accounts of both the owner and the business are also different. And Assets, liabilities, expenses and income also different. .
  • यह अवधारणा लेखांकन की दृष्टि से है. कानून की दृष्टि से नहीं है। This concept is from accounting point of view, not as per legal point of view. 
  • इसी अवधारणा के कारण स्वामी को व्यापार में लेनदार माना जाता है। Owing to this concept, the owner is considered a creditor in the business.
  • इसी अवधारणा के कारण स्वामी की पूंजी B/s में दायित्व के रूप में दिखाते है। Due to this concept, owner's capital is shown as liability in the Balance Sheet of Business.
  • इसी अवधारणा के कारण स्वामी के निजी व्ययों को व्यापारिक व्यय नहीं माना जाता  है बल्कि व्यापार में आहरण माना जाता है। Owing to this concept, the personal expenses of the owner is not considered to be Business expenses but is considered drawings in business.
  • इसी अवधारणा के कारण आहरण पर ब्याज वसूल किया जाता है। Due to this concept, interest is charged on drawings.

(2) दोहरा लेखा/द्विपक्ष/द्विपहलू अवधारणा (Dual Aspect/Double Entry Concept):-

  • यह इटली देश की देन है। It is origin country of Italy.
  • इसको प्रवर्तक/जनक लुकास पैसियोली है। It is originated by Lucas Pacioli.
  • इसका विकास 15 वीं शताब्दी में हुआ। It developed in the 15th century.
  • समान Dr. तथा समान Cr. का नियम इसी अवधारणा की देन है। The rule of equal debit and equal credit is the result of this concept.
  • लेखांकन समीकरण का विकास इसी अवधारणा के कारण हुआ। 

दायित्व + पूजी = संपत्ति

  • The accounting equation developed because of this concept. 

Liability + Capital - Assets

  • लेखांकन समीकरण पर आर्थिक चिट्ठा आधारित होता है। The Balance sheet is based on this accounting equation.
  • इसी अवधारणा के कारण तलपट का मिलान होता है। Due to this concept, the trial balance is matched.

(3) विवेक/सकुचन/परम्परागत/रुढ़िवादिता/दूरनाशता अवधारणा (Conservatism/Prudence Concept):-

  • इस अवधारणा के कारण भविष्य की संभावित हानियों लेखा वर्तमान में करता है। लेकिन संभावित लाभों को ध्यान में नहीं रखा जाता है | Due to this concept all anticipated future losses are provided. But the future profits are not taken into consideration.
  • इस अवधारणा के कारण लेखा पुस्तकों में खर्चे ज्यादा दिखाये जाते है, आय कम दिखाई जाती है संपातियाँ कम मूल्य पर दिखाई जाती है तथा दायित्व बढ़ाकर दिखाये जाते है। Due to this concept, expenses are show more in accounting books, income is shown less. Assets are shown at a lower value and liabilities are shown b high value.
  • इसके परिणामस्वरूप लाभ कम होंगे, कर का भुगतान कम करना पड़ेगा, गुप्त संचयों का निर्माण होगा और गुप्त संचय काही पर भी दिखाये नहीं जाते। As a result the profits will be reduced, tax will have to be reduced secret reserve will be created and secret reserve are not show anywhere. 
  • इसी अवधारणा के कारण देनदारी पर डूबत आयोजन तथा बट्टा आयोजन का निर्माण किया जाता है लेकिन लेनदारों पर बट्टा संचय की अवहेलना की जाती है। Due to this concept, bad debts provision on debtors is created on debtors, but reserve on creditor will be ignored.
  • इसी अवधारणा के कारण व्यापार वर्ष के अंत में अपने अंतिम स्ट्रॉक का मूल्यांकन, लागत तथा बाजार मूल्य (शुद्ध पसूल मूल्य) जो दोनों में से कम हो उस पर किया जाएगा। Due to this concept, at the end of the business year, its closing stock will be valued at the cost and market value (net realizable value) which is lower of the two. 
  • इसी अवधारणा के कारण साझेदारी फर्म में संयुक्त जीवन बीमा पालिसी को आर्थिक चिट्ठे में (BIS) में उसके समर्पण मूल्य (Surrender Value) पर दिखाया जाता है। Due to this concept, the joint life insurance policy in a partnership firm is shown in the balance sheet;  its surrender value in the balance sheet.

Note: - दिखावटी साज-सज्जा (Window Dressing) जब कंपनी अपने शेयर जारी करती है तब वह निवेशको को आकर्षित करने के लिए अपने लामों तथा संपत्तियों को बढ़ाकर दिखाती है इसे ही दिखावटी साज-सज्जा कहते है। Window Dressing: When a company issues its shares, it shows higher profits and assets to attract investors.

(4) पूर्ण प्रकटीकरण/प्रदर्शन/ अभिव्यक्ति अवधारणा (Full Disclosure Concept):-

1. इस अवधारणा के अनुसार लेखा पुस्तक/वित्तीय विवरणों का निर्माण करते समय समी तथ्यों का पूर्ण प्रकटीकरण करना चाहिए। जिससे उपयोगकर्ता के लिए वित्तीय विवरण समझने में आसान हो। According to this concept, full disclosure of all facts should be done while constructing accounting books / financial statements. So that the financial statement is easy for the user to understand.

इस अवधारणा के कारण ही निम्न परिणाम होते हैं-  (The following results are due to this concept-)

  • लेखांकन प्रविष्टि के साथ Narration/व्याख्या/लघु सारांश दिया जाता है।  An accounting entry is accompanied by a short summary / Narration. 
  • BIS के नीचे संदिग्ध दायित्वों को फुटनोट/टिप्पणी के रूप में दिखाया जाता है। Contingent liabilities are shown as footnotes.

(5) महत्वपूर्णता/सारता/सारवानता/तथ्यात्मकता/भौतिकता (Materiality Concept):-

  • यह पूर्ण प्रकटीकरण का अपवाद है। This is an exception to full disclosure.
  • इस अवधारणा के अनुसार महत्वपूर्ण तथ्यों को पूर्ण प्रकट करना चाहिए। अलग से दिखाना चाहिए क्योंकि महत्वपूर्ण तथ्य ये तथ्य होते हैं जो, उपयोगकर्ता के निर्णय को प्रभावित करते है। According to this concept important facts should be fully disclosed. Must be shown separately because important facts are the facts that influence the decision of the user.
  • इस अवधारणा के कारण ही निम्न परिणाम होते हैं- The following results are due to this concept-
    • पैसों को पूर्णाक में बदलना। Convert paisa in rupees.
    • Calculator की खरीद को स्टेशनरी व्यय, व्यापारिक व्यय के रूप में दिखाना। To show the purchase of calculator as stationery expense or business expense.
    • व्यवसाय में छोटे-छोटे व्ययों के लिए अलग खाता नहीं खोलते बल्कि उन्हें sundry expense विविध व्यय खाते में दिखाते हैं। Do not open a separate account for small expenses in a well-known business, but show them in the Miscellaneous Expense Account.
  • छोटे मूल्य/कम मूल्य की संपत्तियों को खरीदते समय या तो उसको आयगत व्यय मान लेते हैं और पूरा ही P&L A/c से Charge कर लेते हैं। या फिर संपत्ति मानते हुए लेखा करते हैं और खरीद के वर्ष में ही 100% ह्रास लगा दिया जाता है। When purchasing small value / low value properties, they either consider it as an expenditure. Or consider the fixed asset and do 100% depreciation in the year of purchase.

(6) सुदीर्घ संस्थान/चालू उधम/ सतत् संस्थान अवधारणा (Going Concern Concept):-

  • इस अवधारणा की यह मान्यता है कि व्यवसाय बिना किसी रूकावट के भविष्य में इसी प्रकार चलता रहेगा। और उसके निकट भविष्य में समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। It is a belief of this concept that business will continue for infinite time. And there is no possibility of it ending in the near future.
  • इसी अवधारणा के कारण व्यवसाय अपनी स्थायी संपत्तियों को आर्थिक चिट्ठे में ऐतिहासिक लागत पर दिखाता है और ऐसे व्यापार जो निकट भविष्य में समाप्त होने वाले हैं। वो अपनी स्थायी संपत्तियों को बाजार मूल्य/शुद्ध वसूली मूल्य पर दिखाते हैं। It is due to this concept that businesses show their fixed assets in historical cost in balance sheet and businesses that are about to expire in the near future. They show their fixed assets at market value / net realization value.

नोट:- ऐतिहासिक लागत (historical cost) खरीदा गया मूल्य होता है।

  • इसी अवधारणा के कारण निम्न वर्गीकरण हुए- This concept led to the following classification:-
    • व्यय - पूंजीगत व्यय तथा आयगत व्यय Expenditure - Capital expenditure and revenue expenditure.
    • संपत्ति – स्थायी संपत्ति तथा चालू सम्पत्ति Assets  -  Fixed Asset and Current Assets
    • दायित्व - दीर्घकालीन तथा अल्पकालीन दायित्व Obligations  -  Long term and short term liabilities
  • इसी अवधारणा के कारण B/S में अदत्त/पूर्वदत्त/उपार्जित/अनुपार्जित आय का समायोजन लिखा जाता है Due to this concept, the adjustment of unpaid /prepaid / accrued / unearned income will be disclosed in the Balance Sheet.

(7) मुद्रामापांकन अवधारणा (Money Measurement Concept):-

  • इस अवधारणा के अनुसार लेखांकन में केवल मौद्रिक व्यवहारों का लेखा किया जाता है, गैर मौद्रिक का नहीं। According to this concept, only monetary transactions are accounted for in accounting, not non-monetary.
  • मुद्रा उस देश की होनी चाहिए जहां लेखा पुस्तक/वित्तीय विवरणों का निर्माण हो रहा है। The currency should be of the country where the accounting book / financial statements are being prepared.
  • परिणात्मक/गुणात्मक व्यवहार लेखांकन में दर्ज नहीं किए जाते केवल मौद्रिक व्यवहार डी दर्ज करते हैं। Quantitative / qualitative transaction are not recorded in accounting, only monetary transactions are recorded.
  • इसी अवधारणा के कारण निम्न व्यवहारों को लेखांकन में दर्ज नहीं किया जाता। Due to this concept the following transactions are not recorded in accounting,
    • ग्राहक से माल का ऑर्डर प्राप्त होना। Receipt of goods order from the concerned customer.
    • व्यापारिक बट्टा Trade Discount. .
    • कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त करना। Dismiss of employee from job.
    • कर्मचारी को संपत्ति के रूप में दर्ज करना। Employee in not recorded an asset.

(8) लागत अवधारणा (Cost Concept):-

  • इस अवधारणा के अनुसार किसी स्थायी संपत्ति का लेखा उसकी ऐतिहासिक लागत पर करना चाहिए। up to ready to put to use तक की। और इसी पर हास लगाया जाना चाहिए। और भविष्य में संपत्ति के बाजार मूल्य में होने वाले उतार-चहाशे को ध्यान में नहीं रखा जाता।
  • Cost Concept: According to this concept, a fixed asset should be recorded for at its historical cost. And Depreciation should be start from ready to put to use. And future market price fluctuations are not taken into consideration.

(9) निरंतरता/एकरुपता/सततता/स्थायित्व की अवधारणा (Concept of Continuity Uniformity/ consistency):-

  • इस अवधारणा के अनुसार वित्तीय विवरणों का निर्माण करते समय अपनाई गई लेखांकन नीतियों में वर्ष दर वर्ष समानता रखनी चाहिए अपनी सुविधा के लिए लेखांकन नीति में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए। According to this concept, accounting policies adopted while producing financial statements should be uniform year after year, and for their convenience, the accounting policy should not be changed.
  • लेखांकन नीतियों में परिवर्तन केवल निम्न दो कारणों से किया जा सकता है-  Changes in accounting policies can only be made for the following two reasons:
    • जब ऐसा परिवर्तन कानून/विधि/सानिया की पालन के लिए किया है। Methodology when such a change is made to obey the law / statute.
    • ऐसा परिवर्तन करने से वित्तीय विवरण/लेखा पुस्तकों का बेहतर प्रस्तुतीकरण होता है। Making such changes leads to better presentation of financial statements / books of accounts.

Note:- निम्न वह क्षेत्र है जहाँ पर लेखांकन नीतियों का निरंतर उपयोग किया जाता है। The following is an area where accounting policies are continuously used.

    • स्टोक का मूल्यांकन / Evaluation of closing stock
    • निवेशों का मूल्यांकन/ Valuation of investments
    • स्थायी सम्पत्ति का मूल्यांकन / Valuation of fixed assets
    • ख्याति का उपचार / Treatment of goodwill

(10) कालबद्धता / अवधि अवधारणा (Periodicity Concept):-

  • इस अवधारणा के अनुसार व्यवसाय के अनन्त जीवनकाल को समय के निश्चित अंतराल में बांटा जाता है। साधारणतया इसी अंतराल को लेखांकन अवधि कहते हैं। जो कैलेण्डर वर्ष के रूप में तो जनवरी से दिसंबर तक होगा। और वित्तीय वर्ष के रूप में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का होगा। According to this concept the lifetime of business is splatted into fixed intervals of time. Generally, this interval is called the accounting period. Which will be from January to December as the calendar year? And will be from 1 April to 31 March as a financial year.
  • लेखांकन अवधि अधिकतम 15 माह की हो सकती है। The accounting period can be a maximum of 15 months.
  • इसी अवधारणा के कारण अंतिम खाते/ वित्तीय विरण निश्चित अवधि के लिए तैयार किए जाते हैं। Due to this concept, Final accounts /financial statements are prepared for a fixed period. 

(11) उपार्जन अवधारणा (Accrual Concept):-

1. इस अवधारणा के अनुसार यह बताया जाता है कि लेखा पुस्तकों में आय तथा व्यय को कब दर्ज करना चाहिए। यानि लेखा पुस्तकों में आय को कमाते ही दर्ज कर लेना चाहिए चाहे वो प्राप्त हो गई या प्राप्त होने वाली है। 

इसी प्रकार खर्च लेखा भी घटित होते ही दर्ज कर देना चाहिए। चाहे उसका भुगतान कर दिया है या बकाया है।

According to this concept, it is told when the income and expenditure should be recorded in the accounting books. That is, the revenue should be recorded in the accounting books as soon as they are earned, whether it is received or is going to be received. 

Similarly, expense accounts should be recorded as soon as they occur. Whether it has been paid or to be paid.

2. इसी अवधारणा के कारण संबंधित वर्ष के 12 माह के लिए लेखा पुस्तकों का निर्माण किया जाता है।

Due to this concept accounts books are produced for 12 months of the respective year.

3. इसी अवधारणा के कारण लेखा पुस्तकों में अदत्त-पूर्वदत्त उपार्जित, अनुपार्जित की लेखा प्रविष्टि की जाती है।

Due to this concept, the accounting entry of outstanding, prepaid expense, accrued income and unearned income are recorded in the books.

(12) मिलान अवधारणा (Matching Concept):-

  • यह उपार्जन अवधारणा पर आधारित होती है। It is based on the concept of accrued.
  • इसी अवधारणा के कारण लाभ-हानि खाते का निर्माण होता है। Due to this concept a profit-and-loss account is prepared.
  • इसी अवधारणा के कारण लाभ-हानि खाते सही लाभ-हानि को बताता है। Due to this concept, the profit-loss account states the net profit or loss.
  • इसी अवधारणा के कारण, लाभ-हानि खाते में अदत्त, पूर्वदत्त, उपार्जित, अनुपार्जित का समायोजन प्रदर्शित होता है। Due to this concept, the adjustment of outstanding, prepaid, accrued, unearned income is reflected in the profit-loss account.
  • इसी अवधारणा के कारण संबंधित अवधि की आय का मिलान, संबंधित अवधि के व्यय के साथ किया जाता है, जिससे कि सही लाम हानि ज्ञात हो। Due to this concept, the income of the related period is matched with the expenditure of the respective period, so that the true profit loss is known.

(13) वसूली अवधारणा (Realisation Concept):-

  • यह आय को मापने का सिद्धांत है। It is the principle of measuring income.
  • इस अवधारणा के कारण लेखा पुस्तकों में विक्रय से आय को निम्न दोनों में से जो भी पहले हो उसे समय दर्ज माना जाएगा। Due to this concept, income from sales in the books of account, whichever is earlier, will be considered as recorded at the time.
    • माल की भौतिक सुपुर्दगी (माल का कब्जा देना) Physical delivery of goods (giving possession of goods)
    • माल की रचनात्मक सुपुर्दगी (स्वामित्ल व जोखिम का हस्तांतरण बिल के द्वारा) Creative delivery of stalled goods (by transfer of ownership and risk bill)

निष्कर्ष-1. विकास का सही क्रम Conclusion-1.Correct sequence of development

Accounting concept

Accounting concept order of developement


Note:-

  • If followed then no disclosure required
  • If not followed then disclosure should be required in report
  • Accounting concepts
    • Idea or motion which have universal application 
    • It is based on assumptions
  • Accounting principles
    • It is based on objectivity
    • Based on practice rules
  • Accounting conventions
    • Have no universal application

Notes:-

  • Going concern, cost concept and realization concept gives the valuation criteria.
  • The valuation of assets of a Business entity is dependent on this Assumptions.
  • The origin of the word debit and credit originated in the 12th century.
  • Dual accounts - Developed in 15th century.