लागत लेखांकन की पद्धतियाँ (Methods of Cost Accounting)

लागत लेखांकन की पद्धतियाँ
(Methods of Cost Accounting)

  1. इकाई लागत पद्धति (Unit Costing Method)
  2. समूह लागत पद्धति (Batch Costing Method)
  3. उपकार्य लागत पद्धति (Job Costing Method)
  4. ठेका लागत पद्धति (Contract Costing Method)
  5. प्रक्रिया लागत पद्धति (Process Costing Method)
  6. परिचालन लागत पद्धति (Operating Costing Method)
  7. बहुसंख्यक या मिश्रित लागत पद्धति (Multiple Costing Method)

Unit Costing Method
इकाई लागत पद्धति

  • This method is used in those industries where -
Production goes continuously;
&
All units of finished goods are homogeneous.
  • इस पद्धति का प्रयोग उन उद्योगों में किया जाता है जहाँ-
उत्पादन निरंतर चलता रहता है;
एवं
निर्मित माल की सभी इकाइयाँ एक समान होती है।
  • The main objective of this method is to find the cost per unit of the produced product.
  • इस रीति का प्रमुख उद्देश्य उत्पादित वस्तु की प्रति इकाई लागत ज्ञात करना होता है।
  • Use of this method is possible only when all the expenditure incurred in the firm is related to the same product.
  • इस पद्धति का उपयोग तब ही सम्भव होता हैं, जब संस्था में किये गए सभी व्यय एक ही उत्पाद से सम्बन्धित होते हैं।
  • It is also called Single Costing Method or Output Costing Method.
  • इसे एकाकी परिव्यय पद्धति या उत्पादन परिव्यय पद्धति भी कहा जाता है।
  • In this method the total cost of the product is determined by preparing a
  • "COST STATEMENT" or "COST SHEET" and the cost per unit is determined on the basis of number of units produced.
  • इस पद्धति में “लागत वितरण" या "लागत पत्र” बनाकर उत्पाद की कुल लागत ज्ञात कर ली जाती है तथा उत्पादित इकाइयों की संख्या के आधार पर प्रति इकाई लागत ज्ञात की जाती है।
Formula:-

Cost Per Unit in English on unit costing

सूत्र :-

Cost per unit in Hindi on unit costing

This method is used in the following industries:-
इस पद्धति का उपयोग निम्नलिखित उद्योगों में किया जाता है :
NameofIndustry
(उद्योगकानाम)
CostUnit
(लागतइकाई)
Mining Industry PerTonne
Bricks Industry Per 1,000 Bricks
Milk Industry Per Litre
Yarn Industry Per Kilogram
Coal Industry Per Tonne
Paper Industry Per Rim/Per Kilogram
Cement Industry Per Tonne/Per Bag
Teaorsugar Industry Per Quintal/Kilogram
Liqueur Industry Per Barrel/Per Litre

Batch Costing Method
समूह लागत पद्धति

  • When several homogeneous units are produced simultaneously, then this method is known as Batch Costing Method.
  • जब एक जैसी अनेक इकाइयों का उत्पादन एक साथ किया जाता है तो इस पद्धति को समूह लागत पद्धति कहते है।
Formula:-   
Cost per unit on batch costing

  • Determination of Economic Batch Qty. (आर्थिक समूह मात्रा का निर्धारण) = Batch production includes following two costs (समूह उत्पादन में निम्न दो लागतों को शामिल किया जाता है) -
    1. Carrying Cost (भण्डारण लागत)
    2. Machine Set-up Cost (मशीन सेट-अप लागत)
  • Thus we can say that a point at which the carrying cost and machine set up cost of batch production are equal is known as Economic Batch Quantity.
  • अतः कहा जा सकता है की जिस बिंदु पर समूह उत्पादन की भण्डारण लागत एवं मशीन सेट-अप लागत समान होती है उसे आर्थिक समूह मात्रा कहा जाता है।
  • It means at this point the total cost of batch production is minimum.
  • अर्थात इस बिंदु पर समूह उत्पादन की कुल लागत सबसे कम होती है।
Economic Quantity Batch
  • This method is used in the following industries (इस पद्धति का उपयोग निम्न उद्योगों में किया जाता है):-
    1. Ready made garments industry
    2. Pharmaceutical industry
    3. Toy industry
    4. TV, radio and other electronic goods industries
    5. Shoe industry
    6. Biscuit manufacturing industry

Job Costing Method
उपकार्य लागत पद्धति

  • The production that is done to fulfill specific orders is called Job-work. .
  • विशिष्ट आदेशों की पूर्ति हेतु जो उत्पादन किया जाता है उसे उपकार्य कहते हैं।
  • When a work is done at the customer's place of work, it is also called as Job-work.
  • जब कोई कार्य ग्राहक के कार्यस्थल पर ही पूरा किया जाए तो इसे भी उपकार्य कहा जाता है।
  • Many times the producer obtains the required goods from the customer and prepares the items according to his order, then it is also known as Job-work.
  • कई बार उत्पादनकर्ता ग्राहक से आवश्यक सामन प्राप्त कर उसके आदेशानुसार वस्तुएँ तैयार करता है तो उसे भी उपकार्य कहते है।
  • The major objectives of this method are as follows (इस पद्धति के प्रमुख उद्देश्य निम्नानुसार हैं)-
    1. Production is not done for the purpose of stock but on the customer's orders. (उत्पादन स्टॉक करने के उद्देश्य से नहीं बल्कि ग्राहकों के आदेशों पर किया जाता है।)
    2. Generally, each produced products are not the same as they are prepared according to the customers. So each job-work is a specific task. सामान्यतया प्रत्येक उत्पादित वस्तु एक समान नहीं होती है क्योकि इन्हें हकों के अनुसार तैयार किया जाता हैं । अतः प्रत्येक उपकार्य विशिष्ट कार्य होता है।
    3. Generally production is done at customer's work place. (वस्तु निर्माण सामान्यतया ग्राहकों के कार्यस्थल पर ही किया जाता है।)
    4. The cost and profit of each job-work can be calculated separately. (प्रत्येक उपकार्य की लागत एवं लाभ की गणना अलग-2 की जा सकती है।
    5. Generally this method is used in the following industries (सामान्यतया इस पद्धति का उपयोग निम्न उद्योगों में किया जाता है)
      • Printing industry (छपाई उद्योग)
      • Workshop (मरम्मत कार्यशाला)
      • Shipbuilding industry (जहाज निर्माणी)

Process Costing Method
(प्रक्रिया लागत पद्धति)

  • This method is used in those producing organizations where production takes place in independent processes.
  • इस पद्धति का उपयोग उन उत्पादक संस्थाओं में किया जाता है जहाँ उत्पदान स्वतंत्र प्रक्रियाओं में होता हैं।
  • In this method, the cost of all the processes is determined separately so that the cost can be controlled.
  • इस पद्धति में सभी प्रक्रियाओं की लागत अलग-अलग ज्ञात की जाती है जिससे की लागत पर नियंत्रण किया जा सके।
  • In this method, the manufactured goods of one process become raw material for the other process.
  • इस पद्धति में एक प्रक्रिया का निर्मित माल अन्य प्रक्रिया के लिए कच्चा माल बन जाता है।
  • In this method the production work is continuous and the units produced in one process are always the same, whereas it is different from the units produced in other processes,
  • इस पद्धति में उत्पादन कार्य निरंतर होता है एवं एक प्रक्रिया में उत्पादित इकाइयाँ सदैव ही एक समान होती है जबकि ये अन्य प्रक्रियाओं में उत्पादित इकाइयों भिन्न होती है।
      • This method is used in the following industries -
      • Iron and Steel Industry Cement Industry
      • Flour Mills
      • Soap Industry
      • Textile Industry
      • Leather Industry
      • Food products
      • Lime Industry
      • Paper industry
      • Rubber Industry
      • Mining Industry (e.g. Coal, Oil, Iron, Gold) etc.

Operating Costing Method
(परिचालन लागत पद्धति)

  • The operating Cost Method is used to determine the cost of services.
  • जब सेवाओं की लागत की गणना करनी हो तो परिचालन पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस पद्धति का उपयोग निम्न उद्योगों में किया जाता है-
  • This method is used in the following industries:-
Operating Costing Method

Multiple Costing Method
(बहुसंख्यक या मिश्रित लागत पद्धति)

  • When many different items have to be added to make a single item, such a method is called the majority cost method. (जब किसी एक वस्तु को बनाने की लिए कई अनेक वस्तुओं को जोड़ना पड़ता है तो ऐसी पद्धति को बहुसंख्यक लागत पद्धति कहा जाता है।)
  • It is used in making bicycles, motorcars, computers etc. (इसका उपयोग साईकिल, मोटरकार, कम्प्यूटर आदि को बनाने में किया जाता है।)

Contract Costing Method
(ठेका लागत पद्धति)

  • Normally this method includes construction related contracts are.
  • इस पद्धति में सामान्यतया निर्माण से सम्बंधित ठेकों को शामिल किया जाता है।
  • Mainly this method includes the construction of Buildings, Roads, Flyovers, Dames, huge Plant and Machinery etc.
  • इस पद्धति में मुख्यतः भवन, सड़क, पुल, बाँध, कोई बड़ा संयंत्र एवं मशीन आदि की निर्माण को शामिल किया जाता है।
  • This method generally includes following two parties-
    • A person who works under the construction contracts is known as Contractor; and
    • A person who gives directions under the construction contract is known as "Contractee."
  • इस पद्धति में सामान्यतया निम्नलिखित दो पक्षों को शामिल किया जाता है-
    • अनुबंध के अन्तर्गत निर्माणी कार्यों को करने वाले व्यक्ति को “ठेकेदार तथा
    • अनुबंध के अन्तर्गत निर्माणी कार्यों को करने का आदेश देने वाले व्यक्ति को "ठेकेदाता" कहते है।
  • Thus the method in which the contractor has maintain the records related to the Cost and Profits is known as Contract Costing Method.
  • अतः ठेकेदारों द्वारा ठेके पर लगने वाली लागत एवं लाभों का हिसाब-किताब रखने की इस विधि को ही ठेका लागत लेखांकन कहा जाता है।

Features of Contract Costing Method
(ठेका लागत पद्धति की विशेषताएँ)

  • There is a contract between Contractor and Contractee, in which, the specified period of completion of contract and contract price are mentioned.
  • ठेकेदार एवं ठेकेदाता के मध्य एक अनुबंध होता है जिसमे ठेके को पूरा करने की निश्चित समयावधि एवं ठेके की भुगतान राशि का उल्लेख होता है।
  • Normally the construction period has long term period.
  • प्रायः ठेके की समयावधि दीर्घकालीन होती है।
  • Payment contract price is based on the work done which is certified by the engineer.
  • ठेके का भुगतान सामान्यतया किये गए कार्य के अनुसार किया जाता है जो किसी इंजीनियर द्वारा प्रमाणिक किया जाता है।
  • Sometimes the contractee pays less amount than the work certified and the balance amount which retained is known as Retention Money. This will be paid after the completion of contract.
  • कई बार ठेकेदाता प्रमाणिक कार्य से कम का भुगतान करता है तथा जो शेष राशि रोक लेता है जिसे अवरोध राशि कहा जाता है । इसका भुगतान ठेके के पूरा होने पर कर दिया जाता है।
  • When any contractor done his work from another contractor then such another contractor is known as Sub-contractor.
  • जब कोई ठेकेदार अपना कार्य किसी अन्य ठेकेदार से करवाता है तो ऐसा ठेकेदार (दूसरा ठेकेदार) उप-ठेकेदार कहलाता है।
  • When contractee likes the work of contractor or the contractor completes the work before specified time period then the amount of reward paid by contractee will also includes in the income to contractor.
  • जब ठेकेदार द्वारा किया गया कार्य ठेकेदाता को अच्छा लगता है या ठेका समय से पूर्व पूरा कर दिया जाता है तो ठेकेदाता द्वारा दी गयी ईनाम की राशि भी ठेकेदार की आय में शामिल की जाती है।

Cost Plus Contract (लागत योग ठेके)

  • For this type of contracts the contract price will determine by adding profit, with a certain rate of profit, into the cost of contract.
  • इस प्रकार के ठेकों का मूल्य लागत में एक निश्चित दर से लाभ को जोड़ कर ज्ञात किया जाता है।
  • This is done when it is not possible to determine the accurate contract price.
  • ऐसे तब किया जाता है जब ठेके के मूल्य का निर्धारण यथोचित शुद्धता से निर्धारित करना संभव नहीं हो।
  • In this method, wastage is encouraged because expenses are exaggerated by the contractor.
  • इस पद्धति अपव्यय को प्रोत्साहन मिलता है क्योंकि ठेकेदार द्वारा खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है।
  • Normally this method is used by the government departments.
  • समान्यतया इसे सरकारी विभागों द्वारा ही अपनाया जाता है।

Escalation Clause (वृद्धि वाक्यांश या सोपान धारा)

  • According to the condition of the contract, if the value of material, labor and other expenses changes, the value of the contract is also changed in the same proportion, then it is called the Escalation Clause.
  • ठेके की जिस शर्त के अनुसार सामग्री, श्रम एवं अन्य व्ययों के मूल्यों में परिवर्तन होने पर ठेके की मूल्य में भी उसी अनुपात में परिवर्तन कर दिया जाता है तो उसे ही वृद्धि वाक्यांश कहते है।
  • Generally the period of contract is long term thus in that case at the end of an accounting
  • year profit will determine on the basis of estimation out of which some portion of
  • profits will transferred in Reserves and actual profit or loss will be determined at the
  • completion of contract.
  • प्रायः ठेके लम्बी समयावधि तक चलते है तो ऐसी दशा में प्रत्येक लेखांकन वर्ष के अंत में अनुमान के आधार पर लाभ की गणना की जाती है जिसका कुछ भाग संचय के रूप में रखा जाता है तथा वास्तविक लाभ या हानि की गणना ठेके के पूर्ण होने पर ही ज्ञात किया जाता है।

Amount of Profit or Loss to be transferred to Profit & Loss Account
लाभ अथवा हानि को लाभ-हानि खाते में हस्तांतरित करना

  • In case of Loss If there is any loss in Contract Account then whole amount of loss will be transferred to profit and Loss Account.
Note:- if there is a possibility of losses in future then provision should be made.
  • हानि की दशा में - यदि ठेके खाते में हानि आ रही ही तो सम्पूर्ण हानि की राशि लाभ- हानि खाते में हस्तांतरित कर दी जाती है।
नोट: यदि भविष्य में हानि होने की सम्भावना हो तो ऐसी दशा में पहले ही आयोजन बना लेना चाहिए।
  • In case of Profit - The portion of profit to be transferred to P&L Account is based on Work Certified which is as follows.
  • लाभ की दशा में ठेके पर अर्जित लाभ का कितना भाग लाभ-हानि खाते में हस्तांतरित किया जाना चाहिए यह प्रमाणित कार्य की मात्रा पर निर्भर करता है जो निम्नानुसार है -
  1. If Work Certified is less than 25% :- Then in that case profit will not determine and whole amount will be transferred to Work in Progress A/c. (ऐसी स्थिति में लाभ की गणना नहीं की जाती है बल्कि पूरी राशि को चालू कार्य खाते में हस्तांतरित कर दिया जाता है।)
    All formula Estimated profit and notional Profit


परिव्ययांकन की प्रविधियाँ अथवा प्रकार
(Techniques or Types of Costing)

  • Historical Costing The process to determine the cost after the production of product is known as Historical Costing.
  • ऐतिहासिक परिव्ययांकन -  वस्तु के उत्पादन के पश्चात लागत ज्ञात करने की प्रक्रिया को ही ऐतिहासिक परिव्ययांकन कहा जाता है।
  • Direct Costing - At the time of determination of cost of a product, if only direct material, direct labour and direct expenses are included then it is known as Direct Costing.
  • प्रत्यक्ष परिव्ययांकन - जब किसी वस्तु की लागत ज्ञात करते समय केवल प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष श्रम एवं प्रत्यक्ष व्ययों को ही शामिल किया जाता है तो इसे ही प्रत्यक्ष परिव्ययांकन कहते हैं।
  • Uniform Costing - When the same costing methods are used to determine the cost in the same industry then it is called as Uniform Costing. Due to this the comparative study become easy.
  • एकरूप परिव्ययांकन - जब सभी एक समान उद्योगों में एक जैसी लागत विधि का प्रयोग कर लागत का निर्धारण किया जाता है तो इसे एकरूप परिव्ययांकन कहा जाता है । इससे तुलनात्मक अध्ययन आसन हो जाता हैं।

प्रमाप परिव्ययांकन (Standard Costing)
सीमान्त परिव्ययांकन (Marginal Costing)
अवशोषण परिव्ययांकन (Absorption Costing)